रूस ने तालिबान सरकार को दी औपचारिक मान्यता – क्या बदल जाएगा अफगानिस्तान का भविष्य?
Krishna Times
रूस बना तालिबान सरकार को मान्यता देने वाला पहला देश
वर्ष 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद से दुनिया भर के देशों ने उनकी सरकार को मान्यता देने से परहेज किया था। लेकिन अब, तीन वर्षों के बाद, रूस ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता दे दी है। रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
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रूस का यह कदम क्यों है अहम?
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से वहाँ की स्थिति अस्थिर बनी हुई है। मानवाधिकारों, महिलाओं की शिक्षा, और सुरक्षा को लेकर कई देशों ने तालिबान से दूरी बनाए रखी थी। मगर रूस का यह कदम एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत की ओर संकेत कर रहा है।
रूस ने कहा है कि उन्होंने अफगानिस्तान में "स्थिरता और शासन व्यवस्था" को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
साथ ही, रूस ने काबुल स्थित अपने दूतावास में अब तालिबान द्वारा नियुक्त राजनयिकों को आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया है।
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क्या है रूस के इस फैसले के पीछे की रणनीति?
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस इस फैसले के जरिए मध्य एशिया में अपनी भू-राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहता है। अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति उसे चीन, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई देशों के साथ जोड़ती है। ऐसे में रूस तालिबान के साथ अच्छे संबंध बनाकर वहां प्रभाव और आर्थिक अवसरों को बढ़ाना चाहता है।
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अन्य देश अब क्या करेंगे?
रूस के इस कदम से एक नई बहस छिड़ गई है। अब दुनिया यह देख रही है कि चीन, पाकिस्तान, ईरान, और अन्य इस्लामिक देश क्या इस दिशा में आगे बढ़ेंगे? हालांकि अमेरिका, यूरोपीय संघ और भारत जैसे देशों ने अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है।
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अफगानिस्तान के लिए इसका क्या अर्थ है?
इस मान्यता के बाद अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर थोड़ा बहुत समर्थन मिल सकता है। इससे देश को:
विदेशी निवेश के अवसर मिल सकते हैं।
मानवीय सहायता की प्रक्रिया सरल हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों को सुधारने का मौका मिलेगा।
लेकिन इसके लिए जरूरी होगा कि तालिबान सरकार मानवाधिकारों, महिला अधिकारों और शिक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए।
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निष्कर्ष:
रूस का यह कदम अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य देश भी रूस की राह पर चलेंगे या तालिबान सरकार को मान्यता देने से अब भी बचेंगे। फिलहाल, अफगानिस्तान की जनता को एक स्थिर, सुरक्षित और न्यायपूर्ण शासन की सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
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