मुहर्रम 2025: पटना में राबड़ी आवास पहुंचा ताजिया जुलूस, लालू यादव ने देखा अखाड़े का करतब
✍️ Krishna Times
पटना, बिहार – जुलाई 2025:
राजधानी पटना एक बार फिर गवाह बनी उस धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता की, जो भारत की आत्मा को जीवित रखती है। इस साल मुहर्रम के अवसर पर पटना में जिस प्रकार ताजिया जुलूस निकाला गया, उसमें न केवल शिया समुदाय की श्रद्धा दिखी, बल्कि पूरे शहर ने एक साथ मिलकर ग़म-ए-हुसैन को साझा किया। इस आयोजन की सबसे खास बात यह रही कि पटना स्थित पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास तक भव्य ताजिया जुलूस पहुंचा और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने खुद इस जुलूस का स्वागत किया।
यह दृश्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि वह मिसाल भी था, जो यह दिखाता है कि धर्म चाहे कोई भी हो, इंसानियत और एकता सबसे ऊपर होती है।
🔷 मुहर्रम: बलिदान और संदेश का पर्व
इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना 'मुहर्रम' शिया और सुन्नी समुदाय दोनों के लिए पवित्र है, लेकिन शिया मुस्लिम इसे विशेष रूप से इमाम हुसैन के शहादत दिवस के रूप में मनाते हैं। इमाम हुसैन, जो पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे थे, उन्हें करबला के मैदान में अत्याचार के खिलाफ खड़े होने की कीमत अपने परिवार सहित जान देकर चुकानी पड़ी थी।
हर साल, मुहर्रम के पहले दस दिन विशेष आयोजन होते हैं और दसवें दिन यानी "यौम-ए-आशूरा" को ताजिया जुलूस निकाले जाते हैं। इसी दिन हुसैन और उनके साथियों की कुर्बानी को याद करते हुए मातम किया जाता है, अलम उठाया जाता है और ताजिए निकाले जाते हैं। यही दृश्य इस बार पटना में भी देखने को मिला।
🔷 पटना में भव्य ताजिया जुलूस
पटना शहर में मुहर्रम के मौके पर कई स्थानों से ताजिया जुलूस निकाले गए। खासकर सब्जीबाग, फुलवारीशरीफ, आलमगंज, खाजेकलां, नाला रोड, बिहटा और बाईपास क्षेत्र से भारी संख्या में ताजिया और अखाड़े निकाले गए, जो पटना की गलियों और सड़कों पर सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बन गए।
हर गली, हर मोहल्ले में “या हुसैन” की सदा गूंज रही थी। युवा, बुजुर्ग, बच्चे सब एक ही भावना से ओतप्रोत थे — शहादत को याद करना, इंसाफ और हक के लिए खड़े होने की प्रेरणा लेना।
🔷 राबड़ी आवास पर पहुंचा ताजिया जुलूस
इस वर्ष की सबसे उल्लेखनीय और खास बात यह रही कि पटना स्थित राबड़ी देवी के सरकारी आवास, 10 सर्कुलर रोड तक भी एक भव्य ताजिया जुलूस पहुंचा। इस जुलूस में न केवल परंपरागत ताजिए थे, बल्कि उसके साथ-साथ अखाड़ा दलों द्वारा शानदार प्रदर्शन भी किया गया।
राबड़ी आवास के बाहर हजारों लोगों की भीड़ जमा थी। जैसे ही जुलूस वहां पहुंचा, माहौल पूरी तरह भक्तिमय और भावुक हो गया। उस दौरान डोल-नगाड़ों की आवाज, तलवारबाज़ी के करतब, और “या अली”, “या हुसैन” की सदाएं गूंज रही थीं।
🔷 लालू यादव ने जताई श्रद्धा, देखा अखाड़े का करतब
ताजिया जुलूस के पहुंचते ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद राबड़ी आवास के बाहर आए। उन्होंने ताजिया का स्वागत किया, लोगों से संवाद किया और अखाड़े के हैरतअंगेज करतबों को देखा और सराहा।
लालू यादव ने कहा:
हुसैन की
कुर्बानी हम सबके लिए इंसाफ, बलिदान और सच्चाई के लिए खड़े होने की प्रेरणा है। मुहर्रम सिर्फ एक धर्म का पर्व नहीं, यह इंसानियत की लड़ाई का प्रतीक है। जो भी अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है, वह हुसैनी है।"
लालू प्रसाद ने अपने पुराने अंदाज में लोगों से बातचीत की, बच्चों को दुलारा, और अखाड़ा के कलाकारों से मिलकर उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि बिहार की मिट्टी हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल रही है और ऐसे आयोजन इसे और मजबूत करते हैं।
🔷 अखाड़े के करतब बने आकर्षण का केंद्र
ताजिया जुलूस के साथ आए अखाड़ा दलों ने बेहतरीन युद्धकला, लाठी, तलवार और चक्र कला का प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन न केवल पारंपरिक कला का उदाहरण था, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी कि युवा पीढ़ी अपने मूल संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी रहे।
लोगों ने अपने मोबाइल और कैमरे से इन करतबों को रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर साझा किया। खासकर छोटे बच्चों और युवाओं में इन कलाओं को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।
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🔷 सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
एक ओर जहां जुलूस मुस्लिम समुदाय का था, वहीं उसका स्वागत हिंदू परिवारों द्वारा भी खुले दिल से किया गया। कई स्थानों पर हिंदू घरों ने ताजिए पर फूल चढ़ाए, पानी पिलाया और घर के दरवाजे खुले रखे। यह दृश्य भारत की उस साझा संस्कृति का प्रमाण है, जहां धर्म एक व्यक्तिगत श्रद्धा होता है, लेकिन दिल और इंसानियत साझा होती है।
राबड़ी आवास पर भी कई हिंदू नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जुलूस का स्वागत किया, जो बिहार की राजनीति में एक सकारात्मक संदेश देने वाला रहा।
🔷 प्रशासन की चुस्त व्यवस्था
पटना जिला प्रशासन और पुलिस की भूमिका इस पूरे आयोजन में सराहनीय रही। पटना के एसएसपी ने पहले ही सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर ली थी। हर जुलूस मार्ग पर CCTV कैमरे, ड्रोन निगरानी, विशेष सुरक्षा बल और महिला पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
यातायात को सुचारू रखने के लिए वैकल्पिक रूट तैयार किए गए थे और एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई थी। पटना नगर निगम ने साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की थी।
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🔷 सोशल मीडिया पर भी दिखा उत्साह
जैसे ही राबड़ी आवास पर जुलूस पहुंचा और लालू यादव की तस्वीरें सामने आईं, सोशल मीडिया पर बाढ़ सी आ गई। #Muharram2025, #LaluYadav, #TaziaInPatna, #AkhadaPerformance जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे। लोगों ने लालू यादव की 'धरती से जुड़ी छवि' की तारीफ की और उनकी गंगा-जमुनी सोच को सलाम किय
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🔷 निष्कर्ष: बिहार की संस्कृति फिर चमकी
मुहर्रम 2025 का यह आयोजन केवल एक धार्मिक रस्म नहीं थी, यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक परंपरा और राजनीतिक शालीनता का संगम था। राबड़ी आवास पर ताजिया जुलूस का पहुंचना, लालू यादव द्वारा स्वागत करना, अखाड़ा के करतब और आम जनता की भागीदारी — ये सभी बिहार की मिट्टी की सोंधी खुशबू को एक बार फिर पूरे देश में फैलाने वाले बन गए।
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