Ads

कजाकिस्तान में बुर्का और हिजाब पर प्रतिबंध: नया कानून लागू

             Krishna Times

कजाकिस्तान में अब महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का, हिजाब या चेहरे को ढकने वाले किसी भी कपड़े का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी। यह ऐतिहासिक और विवादास्पद निर्णय देश के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव द्वारा हस्ताक्षरित एक नए कानून के तहत लिया गया है। सरकार का कहना है कि यह फैसला देश में धार्मिक कट्टरता को रोकने और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।


सरकार के अनुसार, कुछ धार्मिक प्रतीकों और पहनावे का प्रयोग चरमपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने का माध्यम बनता जा रहा था। इसी को रोकने के लिए यह कदम जरूरी माना गया। हालांकि, इस निर्णय पर दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं – कुछ लोग इसे सुरक्षा और आधुनिकता की दिशा में एक सही कदम मान रहे हैं, जबकि कई इसे धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं।


पृष्ठभूमि में क्या है?

पिछले कुछ वर्षों में कजाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता और अलगाववाद को लेकर चिंता जताई जाती रही है। सरकार का मानना है कि सार्वजनिक जीवन में चेहरा ढकने वाली पोशाकें पारंपरिक कजाख संस्कृति से मेल नहीं खातीं और इन्हें विदेशी प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है।


लोगों की राय बंटी हुई है –

कुछ नागरिक इस निर्णय का समर्थन कर रहे हैं, उनका मानना है कि इससे समाज में एकरूपता और खुलापन आएगा। वहीं, कई मुस्लिम संगठन इसे व्यक्तिगत और धार्मिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं और विरोध दर्ज करवा रहे हैं।


निष्कर्ष:


कजाकिस्तान का यह कानून वैश्विक बहस को फिर से हवा दे रहा है कि धर्म और आधुनिक राष्ट्र-राज्य के नियमों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। क्या यह कदम प्रगतिशील है या धार्मिक आज़ादी पर अंकुश? आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और इस कानून का सामाजिक प्रभाव स्पष्ट हो पाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं

Storman के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.